वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१४ सितम्बर २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />श्लोक (अध्याय-१ सूत्र-११)<br />मुक्ताभिमानी मुक्तो हि बद्धो बद्धाभिमान्यपि।<br />किवदन्तीह सत्येयं या मतिः सा गतिर्भवेत्॥<br /><br />प्रसंग:<br />जीवन में बंधन होने के कारण घुटन क्यों महसूस होती है?<br />बन्धनों से मुक्ति कैसे मिले?<br />बंधन सुहाते क्यों है?<br />हर बंधन से मुक्त होने का दिल क्यों करता है?